इंटीग्रल विश्वविद्यालय में पादप विविधता संरक्षण के टिकाऊ समाधान के लिए नीतियों और नवाचारों पर कार्यशाला का आयोजन

लखनऊ : सम्वाददाता::
इंटीग्रल विश्वविद्यालय के इंटीग्रल इंस्टीट्यूट ऑफ एग्रीकल्चरल साइंस एंड टेक्नोलॉजी (आई.आई.ए.एस.टी.) एवं सी.एस.आई.आर-राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान के सहयोग तथा उत्तर प्रदेश राज्य जैव विविधता बोर्ड के प्रायोजन में “पादप विविधता संरक्षण के टिकाऊ समाधान के लिए नीतियों और नवाचारों को जोड़ना” विषय पर कार्यशाला का आयोजन 22 मार्च 2025 को किया गया। कार्यशाला का उद्देश्य पादप संरक्षण की चुनौतियों और संभावनाओं पर चर्चा कर विशेषज्ञों, शिक्षाविदों और नीति-निर्माताओं के सहयोग से प्रभावी समाधान विकसित करना है। इसमें जैव विविधता संरक्षण को राष्ट्रीय नीतियों, विकास योजनाओं और विभिन्न क्षेत्रों की रणनीतियों में शामिल करने के उपायों पर विचार किया जाएगा, ताकि सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) की प्राप्ति सुनिश्चित हो सके।
कार्यक्रम के प्रारम्भ मे प्रो. मोहम्मद हारिस सिद्दीकी, कुलसचिव, इंटीग्रल विश्वविद्यालय, ने मुख्यअतिथि, विशेषज्ञो एवं प्रतिभागियों का स्वागत एवं अभिनन्दन किया । प्रो. वहाजुल हक, डीन, अनुसंधान एवं विकास, इंटीग्रल विश्वविद्यालय, ने जैव विविधता पर अपने विचार साझा किया । श्री प्रभाकर बूरा, सचिव, उत्तर प्रदेश राज्य जैव विविधता बोर्ड ने अपने संबोधन में कार्यशाला के उद्देश्य एवं महत्व पर प्रकाश डाला और प्रो. जावेद मुसर्रत, कुलपति, इंटीग्रल विश्वविद्यालय ने कृतिम बुद्धिमत्ता एवं ड्रोन तकनीकी से जैव विविधता को संरक्षित करने पर जोर दिया तथा उन्होंने कहा कि अगर जैव विविधता को संरक्षित नहीं किया गया तो उसका परिणाम यह होगा की आने वाली पीढ़ियों को बहुत महत्वपूर्ण पौध और जीव प्रजातियों के बारे में केवल इतिहास के पन्नों में ही पढ़ने को मिलेगा ।
कार्यशाला के तकनीकी सत्र मे श्री प्रभाकर बूरा, सचिव, उत्तर प्रदेश राज्य जैव विविधता बोर्ड, लखनऊ ने अपने प्रस्तुतीकरण में उत्तर प्रदेश के लिए सतत विकास लक्ष्यों में जैव विविधता का एकीकरण नवाचार नीति और सहयोगात्मक दृष्टिकोण पर उद्धबोधन दिया । श्री आशुबोध कुमार पंत, सेवानिवृत्त वन संरक्षक ने अपने सम्बोधन में प्रभावी जैव विविधता संरक्षण के लिए पारिस्थितिकी मॉडलिंग और सामुदायिक सहभागिता का एकीकरण के बारे में चर्चा की । पर्यावरण विज्ञान विभाग, इंटीग्रल यूनिवर्सिटी, लखनऊ के प्रो. एम. ए. खालिद ने अपने प्रस्तुतीकरण में जैव विविधता और आजीविका के लिए नीतिगत ढांचे का समन्वय के बारे में बताया । डॉ. सुधांशु शेखर दाश वैज्ञानिक-एफ, अतिरिक्त निदेशक भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, कोलकाता ने अपने सम्बोधन में प्रजाति वर्गीकरण के दृष्टिकोण एवं पादप जैव विविधता संरक्षण में इसकी भूमिका के बारे में विस्तार में चर्चा की । प्रो. एच. बी. सिंह, अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश पर्यावरण संरक्षण प्राधिकरण ने अपने प्रस्तुतीकरण में सूक्ष्मजीवों के जैवविविधता में योगदान एवं महत्तव पर प्रकाश डाला । कार्यक्रम में विविधता दृश्य कहानी कहने की प्रतियोगिता में मो. अबुज़र आलम और सैयद अब्दुल अहद को प्रथम तथा शिवम सिंह और जैद अंसारी को द्रितीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया । धन्यवाद ज्ञापन प्रो. सबा सिद्दीकी, अध्यछ, कृषि विभाग, आई.आई.ए.एस.टी द्वारा दिया गया। कार्यक्रम में छात्र, सहायक एवं सह अध्यापक तथा वैज्ञानिकों सहित 522 लोगों ने प्रतिभाग किया ।
