इंटीग्रल यूनिवर्सिटी में “क्लाइमेट पर चर्चा”: सतत भविष्य के लिए बदलाव की आवाज़ें

लखनऊ : सम्वाददाता::
प्रो. सैयद वसीम अख्तर (माननीय चांसलर व संस्थापक, इंटीग्रल यूनिवर्सिटी), डॉ. सैयद नदीम अख्तर (माननीय प्रो-चांसलर), और प्रो. अब्दुल रहमान ख़ान (डीन, फैकल्टी ऑफ साइंस) की कृपा और आशीर्वाद से इंटीग्रल यूनिवर्सिटी में “क्लाइमेट पर चर्चा” नामक कार्यक्रम का आयोजन हुआ, जो जलवायु परिवर्तन के समाधान और सतत विकास के लिए समर्पित था।
कार्यक्रम की शुरुआत डॉ. अम्बरीना सरदार (प्रमुख, पर्यावरण विज्ञान विभाग) के स्वागत भाषण से हुई, जिसमें उन्होंने जलवायु के प्रति जागरूकता और त्वरित कार्रवाई की आवश्यकता पर ज़ोर दिया। इसके बाद प्रो. मुनव्वर आलम खालिद (डीन, स्टूडेंट वेलफेयर) ने युवाओं को जलवायु परिवर्तन के विरुद्ध torchbearer बनने के लिए प्रेरित किया। कार्यक्रम का संचालन बड़ी ही सुंदरता से डॉ. सैयद सायमा (सहायक प्रोफेसर, पर्यावरण विज्ञान) ने किया।
इस कार्यक्रम का एक प्रमुख आकर्षण रहीं सारा इंडियन, जो एक समर्पित जलवायु और सामाजिक न्याय कार्यकर्ता हैं और क्लाइमेट पर चर्चा एनजीओ की संस्थापक हैं। सारा ने बताया कि यह संगठन मात्र छह महीनों में कई सरकारी संस्थाओं की सराहना प्राप्त कर चुका है और इसे कई विभागों का सहयोग भी मिला है। अपने कार्यों के माध्यम से यह एनजीओ समाज में जलवायु शिक्षा, युवा सहभागिता और सतत परियोजनाओं को सक्रिय रूप से आगे बढ़ा रहा है।
इसके पश्चात मंच पर विभिन्न विषयों पर प्रभावशाली वक्तव्य हुए — श्रीमती नेहा सिंह, सुश्री फूलवी अग्रवाल, डॉ. अरुणिमा सिंह, और श्रीमती ज्योत्सना कौर हबीबुल्लाह ने शहरी विकास और पारिस्थितिकी के संतुलन, 5R (Reduce, Reuse, Recycle, Refuse, Repurpose) के ज़रिए अपशिष्ट प्रबंधन, जलवायु परिवर्तन के जलीय जीवन पर प्रभाव, और सर्कुलर इकोनॉमी जैसे विषयों पर विचार साझा किए। अर्पिता ने फैशन इंडस्ट्री के पर्यावरणीय प्रभाव पर ध्यान आकर्षित किया, जबकि सुश्री अंजना पंत ने सतत जीवनशैली पर सत्र आयोजित किया।
टीम उद्घोष द्वारा प्रस्तुत नुक्कड़ नाटक ने दर्शकों को झकझोर दिया और उन्हें यह महसूस कराया कि पर्यावरणीय संकट सिर्फ आँकड़े नहीं बल्कि हमारी वास्तविक ज़िंदगी की चुनौती है।
कार्यक्रम के अंत में सभी सम्माननीय अतिथियों, स्वयंसेवकों और सहयोगियों को सम्मानित किया गया और सभी उपस्थित लोगों ने स्वच्छता शपथ ली, जिसमें स्वच्छता और पर्यावरणीय ज़िम्मेदारी की प्रतिज्ञा की गई। इसके बाद सामूहिक फोटो से दिन की यादगार भावना को कैद किया गया।
इसके पश्चात उपस्थित गणमान्य अतिथियों ने विभिन्न स्टॉलों और परियोजनाओं का दौरा किया, जिनमें शामिल थे:
हमराही फाउंडेशन, जो यौन शोषण के खिलाफ और आत्म-सुरक्षा हेतु कार्यरत है।
प्रोजेक्ट जीव दया, जो जानवरों के प्रति करुणा और देखभाल को बढ़ावा देता है।
अष्ठधरणी फाउंडेशन, जो पशु अधिकार और सतत पारिस्थितिकी का समर्थन करता है।
स्वादृष्य, जो मानसिक स्वास्थ्य और समग्र जीवनशैली को प्रोत्साहित करता है।
लखनऊ फार्मर्स मार्केट, जिसमें जैविक और पर्यावरण-अनुकूल उत्पाद प्रस्तुत किए गए।
क्लाइमेट पर चर्चा का स्टॉल, जिसने अपने मिशन और गतिविधियों के बारे में जानकारी दी।
क्राफ्टर बाय निधि, जिनके हस्तनिर्मित और पर्यावरण-संवेदनशील उत्पादों ने लोगों को आकर्षित किया।
यह कार्यक्रम केवल एक आयोजन नहीं था, बल्कि यह एक आंदोलन था — जिसमें वैज्ञानिक, शिक्षक, छात्र, कार्यकर्ता और नवप्रवर्तनकर्ता एकजुट होकर एक स्वच्छ, हरित और जिम्मेदार भविष्य की दिशा में कदम बढ़ा रहे थे। क्लाइमेट पर चर्चा ने इंटीग्रल यूनिवर्सिटी में एक नई सोच और आशा का संचार किया, जो निश्चित रूप से आने वाले समय में एक बदलाव लाने वाली ऊर्जा बनकर उभरेगी।
